प्रथम भाव के बाद हम द्वितीय भाव का विचार करते हैं -
द्वितीय भाव को धन भाव भी कहते हैं अतः धन ,कुटुंब,परिवार,संचित धन ,आँख,वाणी ,का विचार किया जाता है
तृतीय भाव -पराक्रम भाई, निकट देश की यात्रा ,कान ,हाँथ,का विचार करते हैं
चतुर्थ भाव - माँ ,स्थिर संपत्ति,जल,भूमि,मकान,उत्तर दिशा ,ह्रदय,वाहन विचार करते हैं
पंचम भाव - पुत्र -पुत्री,मन्त्र, बुद्धि,राज्य कृपा,विद्या,ज्ञान, पेट का विचार किया जाता है
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पाराशर के अनुसार ग्रह दृष्टि
पश्यन्ति सप्तमं सर्वे शनि जीव कुजः पुनः । विशेषतश्च त्रिदशत्रिकोणचतुरष्टमान् || भावः - यहाँ पर ग्रहों की दृष्टि के बारे में बतलाते हु...
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यह कुंडली चक्र राशी स्वामी को बताता है जैसे -मेष का स्वामी मंगल ,वृषभ का स्वामी शुक्र इत्यादि ......... इसी को कालपुरुष कुंडली चक्र भी कहते...
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