Friday, March 25, 2011

Grah yuti aur rog


आप अपनी जन्मकुण्डली को देखें जब किसी भाव में एक से अधिक ग्रह हों या उनकी परस्पर युति हो तो जातक को क्या रोग होने की संभावना रहती है इसे बताते हैं-
गुरु-राहु की युति हो तो दमा, तपेदिक या श्वास रोग से कष्ट होगा।
गुरु-बुध की युति हो तो भी दमा या श्वास या तपेदिक रोग से कष्ट होगा।
राहु-केतु की युति हो जोकि लालकिताब की वर्षकुण्डली में हो सकती है तो बवासीर रोग से कष्ट होगा।
चन्द्र-राहु की युति हो तो पागलपन या निमोनिया रोग से कष्ट होगा।
सूर्य-शुक्र की युति हो तो भी दमा या तपेदिक या श्वास रोग से कष्ट होगा।
मंगल-शनि की युति हो तो रक्त विकार, कोढ़ या जिस्म का फट जाना आदि रोग से कष्ट होगा अथवा दुर्घटना से चोट-चपेट लगने के कारण कष्‍ट होता है।
शुक्र-राहु की युति हो तो जातक नामर्द या नपुंसक होता है।
शुक्र-केतु की युति हो तो स्वप्न दोष, पेशाब संबंधी रोग होते हैं।
गुरु-मंगल या चन्द्र-मंगल की युति हो तो पीलिया रोग से कष्ट होता है।
चन्द्र-बुध या चन्द्र-मंगल की युति हो तो ग्रन्थि रोग से कष्ट होगा।
मंगल-राहु या केतु-मंगल की युति हो तो शरीर में टयूमर या कैंसर से कष्ट होगा।
गुरु-शुक्र की युति हो या ये आपस में दृष्टि संबंध बनाएं तो डॉयबिटीज के रोग से कष्ट होता है।
ये रोग प्रायः युति कारक ग्रहों की दशार्न्तदशा के साथ-साथ गोचर में भी अशुभ हों तो ग्रह युति का फल मिलता है! इन योगों को आप अपनी कुंडली में देखकर विचार सकते हैं। ऐसा करके आप होने वाले रोगों का पूर्वाभास करके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सजग रह सकते हैं या दूजों की कुण्‍डली में देखकर उन्‍हें सजग कर सकते हैं।

2 comments:

Anonymous said...

Bahut sundar prayas kar raeh ahin aap bhupendra ji aapka prayas bahut thik hai
raghv sigh

Anonymous said...

ativ upyogi, yuti ka arth samjhaen
Dheeraj

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