Saturday, February 12, 2011

व्यवसाय एवं नौकरी में उन्नति -प्रमोशन (Your Promotion and astrology)

1. तीन वर्ग कुण्डलियां:  (The three important kundalis - Janm, Navamsh, Dashamsh)
जन्म कुण्डली जीवन की सभी सूचनाओं का चित्र है. मोटी मोटी बातों को जानने के लिये जन्म कुन्डली को देखने से प्रथम दृ्ष्टि मे ही जानकारी हो जाती है. सूक्ष्म अध्ययन के लिये नवांश कुण्डली को देखा जाता है. व्यवसाय मे उन्नति के काल को निकालने के लिये दशमांश कुण्डली की विवेचना भी उतनी ही आवश्यक हो जाती है (The Dashamsh kundali is important in predicting career prospects). इन तीनों कुण्डलियों में दशम भाव दशमेश का सर्वाधिक महत्व है (The tenth lord has a special significance).

तीनों वर्ग कुण्डलियों से जो ग्रह दशम/एकादश भाव या भावेश विशेष संबध बनाते है. उन ग्रहों की दशा, अन्तरदशा में उन्नति मिलने की संभावना रहती है (There is a prospect of raise or promotion in the dasha period of the planets connected with the 10th house). कुण्डलियों में बली ग्रहों की व शुभ प्रभाव के ग्रहों की दशा मे भी प्रमोशन मिल सकता है. एकादश घर को आय की प्राप्ति का घर कहा जाता है. इस घर पर उच्च के ग्रह का गोचर लाभ देता है.

2. पद लग्न से : (Career and Pada Lagna)
पद लग्न वह राशि है जो लग्नेश से ठीक उतनी ही दूरी पर स्थित है. जितनी दूरी पर लग्न से लग्नेश है. पद लग्न के स्वामी की दशा अन्तरदशा या दशमेश/ एकादशेस का पद लग्न पर गोचर करना उन्नति के संयोग बनाता है. पद लग्न से दशम / एकादश भाव पर दशमेश या एकादशेस का गोचर होने पर भी लाभ प्राप्ति की संभावना बनती है.

3. महत्वपूर्ण दशाएं: (Important Dashas)
ऋषि पराशर के अनुसार लग्नेश, दशमेश व उच्च के ग्रहों की दशाएं व्यक्ति को सफलता देती है. इन दशाओं का संबध व्यवसाय के घर या आय के घर से होने से आजीविका में वृ्द्धि होती है. इन दशाओं का संबध यदि सप्तम या सप्तमेश से हो जाये तो सोने पे सुहागे वाला फल समझना चाहिए (Relationship of the dasha lords with the seventh lord is auspicious too).

4. दशमेश नवांश में जिस राशि मे जाये उसके स्वामी से संबन्ध: (The relationship of the tenth-lord with the lord of the sign it is placed in)
जन्म कुण्डली के दशवें घर का स्वामी नवांश कुण्डली में जिस राशि में जाये उसके स्वामी के अनुसार व्यक्ति का व्यवसाय व उसपर बली ग्रह की दशा/ गोचर उन्नति के मार्ग खोलता है. इन ग्रहों की दशा में व्यक्ति को अपनी मेहनत में कमी न करते हुए अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए. उन्नति के समय में आलस्य व्यक्ति को मिलने वाले शुभ फलों में कमी का कारण बन सकता है.

5. गोचर: (Planetary transits and career)
उपरोक्त चार नियमों का अपना विशेष महत्व है. लेकिन इच्छित फल पाने के लिये गोचर का सहयोग भी लेना आवश्यक है (One most consider the planetary transits to judge raise). कुण्डली में उन्नति के योग हो, पद लग्न पर शुभ प्रभाव हो, दशवे घर व ग्यारहवें घर से जुड़ी दशाएं हो व गुरु शनि का गोचर हो तो व्यक्ति को मिलने वाली उन्नति को कोई नहीं रोक सकता है.

12.12.1951 ,जन्म समय ,9.11 बजे जन्म स्थान दिल्ली. यह व्यक्ति पेशे से आर्किटेक्ट है. 

जिन्हें गुरु की महादशा में बुध की अन्तर्दशा के बीच यानि अक्तूबर 1989 से फरवरी 1992 तक के दौरान 1989 में बहुत बडी कम्पनी मे कम्पनी की मिलों को बनाने का काम मिला. इसके बाद व्यक्ति सफलता के पायदान पर चढ़ता गया. उन्हे जीवन में पीछे मुडके देखने की जरुरत नहीं महसूस हुई.

इस व्यक्ति की कुण्डली में लग्न/लग्नेश, व दशम/ दशमेश की स्थिति बहुत अच्छी है. बुध दशमेश को पंचमेश/ द्वादशेश तथा दिगबली मंगल की दृ्ष्टि है. लग्नेश स्वग्रही है. शनि दशम घर में अमात्यकारक होकर स्थित है. शनि मंगल दोनो के दशम घर में होने से पराक्रम व मेहनत, लगन सभी एक साथ व्यक्ति में आ रहा है.

नवांश में दशमेश बुध मंगल के साथ सप्तम घर में स्थित है. जिनपर लग्नेश गुरु की दृ्ष्टि है. दशमांश कुण्डली में दशमेश शुक्र पर मंगल व शनि दोनो की दृष्टि होने से फल अच्छा मिल रहा है.  व्यक्ति के जीवन मे व्यावसायिक उन्नति की संभावना बहुत अच्छी है.

पद लग्न मिथुन राशि में स्थित है. जिसे पद लग्न का स्वामी बुध देखकर बल प्रदान कर रहा है. पद लग्न को शनि भी देख रहा है जिससे पद लग्न के शुभ फलों में इज़ाफा हो रहा है.

गुरु/ बुध की दशाओं में व्यक्ति को उन्नति मिली. गुरु/ बुध का सम्बन्ध आय व व्यवसाय से सभी जगह आ रहा है. गुरु बुध मे से एक लग्नेश है तो दूसरा दशमेश है. दोनों बलवान होकर स्थित है. इससे इन दोनो ग्रहों के फल विशेष रुप से मिलने की संभावना है. दोनों का दृष्टि संबध राजयोग भी बना रहा है.

गोचर को देखे तो दिसम्बर 1989 में दोनों ग्रह गुरु/ बुध मिथुन व धनु मे गोचर कर रहे थे. अर्थात दोनों ही एक दूसरे की राशियों में गोचर कर रहे थे.

No comments:

Featured Post

पाराशर के अनुसार ग्रह दृष्टि

पश्यन्ति सप्तमं सर्वे शनि जीव कुजः पुनः ।  विशेषतश्च त्रिदशत्रिकोणचतुरष्टमान् || भावः - यहाँ पर ग्रहों की दृष्टि के बारे में बतलाते हु...