Monday, October 18, 2010

अंकों का जीवन में खेल

अंकों का हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। आज हम कोई वाहन लेने जाते हैं
 तो सोचते हैं कि यदि गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर अपने अनुकूल मिल जाता तो
ज्यादा अच्छा होता। यही नहीं जब हम मकान खरीदने जाते हैं, या मित्र
बनाते हैं, नाम रखते हैं या परीक्षाओं में रोल नंबर देखते हैं तो गणना करने लगते
 हैं कि यह रोल नंबर हमारे अंक के अनुकूल है या नहीं। इसके अलावा ड्रा कोई
भी हो चाहे वह मकान के अलाटमेंट का हो या लाटरी का हर जगह हम
 अंकों में अपना भविष्यफल खोजने लगते हैं और खोजें भी क्यों नहीं,
 क्योंकि अंक विज्ञान भी तो ज्योतिष की ही एक शाखा है। प्रत्येक अंक
 किसी न किसी ग्रह से अभिभूत होता है। यही नहीं आजकल आप देखेंगे कि
बड़े-बड़े फिल्मी सितारें, बड़ी सफलतम हस्तियां भी अंक विज्ञान के प्रभाव
 से अछूती नहीं हैं और ऐसा वास्तव में देखा भी गया है कि नाम परिवर्तन
 करके लोगों ने ख्याति भी अर्जित की है।
अंक ज्योतिष' शब्द, अंक और ज्योतिष के योग से बना है। अर्थात् ऐसा
 विज्ञान जिसके द्वारा अंकों का प्रयोग ज्योतिष के साथ संबद्ध करके प्रयोग
 किया जा सके उसे अंक ज्योतिष कहेंगे। जैसा कि विदित है-
अंक 1 से ९ तक होते हैं जबकि ज्योतिष में मूल रूप से तीन तत्व हैं-
 ग्रह, राशि और नक्षत्र। ग्रह ९ राशियां १२ और नक्षत्र २७ होते हैं।
 अर्थात् नौ अंकों का संबंध ९ ग्रहों १२ राशियों और २७ नक्षत्रों के
साथ करना होता है। ज्योतिष का क्षेत्र तो काफी विस्तृत है। परंतु
अंक शास्त्र का क्षेत्र ज्योतिष की तुलना में सीमित है। यदि कम प्रयास से
 अधिक गणना करनी हो या शुभ और अशुभ समय अर्थात शुभ वार,
तिथि, मास, वर्ष, आयु, लग्न या होरा आदि जानना हो तो अंक शास्त्र
 का प्रयोग बखूबी किया जा सकता है। अंक ज्योतिष हेतु कुछ मुख्य
सारणियों का प्रयोग आवश्यक होता है जो इस प्रकार हैं : अंक शास्त्री
सैफेरियल के अनुसार वर्ण की संख्या का मान इस प्रकार है।
अंक ज्योतिष में ३ प्रकार के अंकों
का प्रयोग किया जाता है वे हैं-
 
१. मूलांक, २. भाग्यांक ३. नामांक
किसी जातक के बारे में जानने के लिये सर्वप्रथम जातक की जन्म तिथि
और नाम मालूम होना चाहिए। जन्म तिथि के आधार पर जातक का
 मूलांक और भाग्यांक ज्ञात कर सकते हैं। जन्म तिथि में से यदि सिर्फ
तिथि के अंकों को जोड़ दिया जाये तो मूलांक ज्ञात होगा जैसे ११-०७-१९६४
 में मूलांक हेतु ÷११' में १+१ = २ अर्थात मूलांक ÷२' होगा। अब भाग्यांक
निकालने के लिये जन्मतिथि को माह व वर्ष के साथ जोड़ना होगा।
अर्थात् १+१+७+१+९+६+४ = २९ = २+९ = ११ = १+१ = २ अर्थात इस
 जातक का मूलांक एवं भाग्यांक ÷२' है। तथा ÷अंक' का अधिष्ठाता
 ग्रह चंद्र है। अतः अंक विज्ञान के अनुसार जातक का स्वभाव,
शारीरिक गठन, भाग्य आदि सभी कुछ चंद्र के आधार पर निश्चित किया जायेगा।
यदि हम जानना चाहें कि जातक के लिये कौन सी तिथियां शुभ होंगी तो
कहा जा सकता है कि २, ११, २० तिथियां प्रत्येक मास की शुभ होंगी,
 क्योंकि मूलांक ÷२' है। यदि यह तिथियां सोमवार के दिन पड़ जायें
 तो और अधिक शुभ हो जायेंगी। क्योंकि सोमवार के दिन का अंक ÷२' है।
 इसी क्रम से यदि यह तिथियां फरवरी के मास की होंगी तो और अधिक
शुभ हो जायेंगी। यहां फरवरी मास का अंक ÷२' है। इसी प्रकार यदि
 जातक के शुभ वर्ष जानना हो तो इसको दो प्रकार से देखा जा सकता है।
 एक तो जातक की आयु के आधार पर और दूसरा वर्ष के अंकों के आधार पर
 जैसे २ अंक के लिये उसकी आयु के २, ११, २०, २९, ३८, ४७, ५६, ६५, ७४ वर्ष की
आयु शुभ वर्ष होंगे यहां आयु के सभी अंकों का योग ÷२' है और दूसरे आधार पर
हम देखेंगे कि वर्ष १९६४ का अंक होगा १+९+६+४ = २० २+० = ÷२' अर्थात अंक ÷२' का
जातक के जीवन पर काफी प्रभाव रहेगा। इसी प्रकार शुभ वर्ष होंगे- १९६४, १९७३, १९८२,
१९९१, २०००, २००९, २०१८, २०२७, २००२६, २०३५ आदि। क्योंकि वर्षों के अंकों का
 योग भी ÷२' है। आयु वर्ष उसे कहेंगे जो उसकी आयु के अंकों का जोड़ होगा। शुभ वर्ष
वही होगा जो ईस्वी वर्ष के अंकों का जोड़ होगा, यही आधार अधिक सटीक है।
अर्थात हम कह सकते हैं कि वर्ष २००९ जिसके वर्ष अंकों का अंक ÷२' है अधिक
शुभ वर्ष रहा होगा बजाय इसके कि जब जातक ३८ वर्ष का होगा। भले ही ३८
वर्ष की आयु के अंकों का योग भी ÷२' ही होगा। यदि देखें तो आप पायेंगे कि
जातक २००२ में ३८ वर्ष का हुआ होगा। अनुभव के आधार पर देखेंगे तो आप
पायेंगे कि २००२ का वर्ष २००९ से कम शुभ रहा होगा, भले ही दोनों वर्षों में
जातक के लिये ÷२' अंक का प्रभाव है एक आयु के आधार पर और दूसरा वर्ष
अंक के आधार पर।
मूलांक, भाग्यांक और जन्म वर्ष सभी का अंक "२" हमें बताता है
 कि जातक का जीवन सामान्य तौर पर शुभ ही रहा होगा तथा जीवन में
 चंद्र से प्रभावित होने के कारण जातक भावुक व भ्रमणशील प्रवृत्ति का होगा।
 माता का सुख व स्वास्थ्य अच्छा होगा। ऐसे व्यक्ति के लिये सफेद रंग
हमेशा शुभ रहेगा तथा अंक ÷२' वाला मकान नंबर का निवास शुभ रहेगा।
अंक ÷२' का पंजीकृत वाहन शुभ रहेगा। सोमवार का दिन, फरवरी का महीना,
 २, ११, २० तिथियां हमेशा शुभ रहेंगी। अंक ÷२' वाले जातक के लिए अनुकूल व
 शुभ देवता चंद्र के देवता ÷शिव' जिन्होंने अपनी जटाओं में चंद्र को समाहित
किया हुआ है, शुभ रहेंगे। इसी प्रकार अनुकूल रत्न मोती तथा अनुकूल धातु
चांदी होगी। ऐसे जातक को चंद्र से संबंधित व्यवसाय जैसे द्रव पदार्थ, समुद्र
यात्रा, चीनी, अन्न, दूध, दही, चावल, संपादन व अभिनय कार्य करना अधिक
शुभ रहेगा। मंत्र जाप के लिये चंद्र का मंत्र"ओम श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः" का
जाप अधिक शुभ होगा। इसी प्रकार अंक २ के मित्र अंकों के जातकों के साथ मित्रता
 शुभ रहेगी तथा अंक २ के मित्र अंकों के साथ मित्रता शुभ रहेगी एवं अंक ÷२' के
 शत्रु अंकों के साथ मित्रता अशुभ रहेगी। क्योंकि मित्र अंक के व्यक्तियों का स्वभाव
 समान व अनुकूल होगा जबकि शत्रु अंक वाले व्यक्तियों का स्वभाव प्रतिकूल
होगा। जिसके कारण मित्रता में स्थायित्व नहीं रह पाता।
मूलांक और भाग्यांक तो जन्म तिथि के आधार पर निश्चित हो जाते हैं जिनको
जातक परिवर्तित नहीं कर सकता है। परंतु नामांक भी यदि इनसे मेल खाता हो
 तो जातक और अधिक सम्मानित, सफल सुखी एवं समृद्ध रहेगा। इसके
 लिये हमें ऊपर दी गयी सारणियों का प्रयोग करके उसके नाम को अनुकूल
बनाना होगा। यही कारण है कि आज सभी लोग चाहे वह सामान्य व्यक्ति हो या
 कोई फिल्मी हस्ती, सभी लोग अपने नाम में परिवर्तन करके सफलता को प्राप्त
कर रहे हैं। फिल्मी क्षेत्र में, औद्योगिक क्षेत्र या अन्य क्षेत्रों में कार्य करने वाले अनेक
 लोगों ने अंक शास्त्र के आधार पर अपने नाम की स्पैलिंग में परिवर्तन किया है
और सफलता भी प्राप्त की है।
यदि जातक तारीख, मास, वर्ष, वार के साथ-साथ अनुकूल ग्रह की होरा में
 महत्वपूर्ण कार्य करे तो सफलता और भी अधिक आसानी से प्राप्त की जा
सकती है। जैसा कि आप जानते ही होंगे कि सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक
लगभग २४ घंटे के समय अंतराल में २४ होरायें होती हैं और प्रत्येक होरा की
अवधि एक घंटा होती है और जिस दिन जो वार होता है उस दिन उसी वार के ग्रह
 की पहली होरा होती है जैसे बुधवार को पहली होरा ÷बुध' की होगी। जिसकी
अवधि सूर्योदय से 1 घंटे तक रहेगी तत्पश्चात उल्टे क्रम में एक ग्रह छोड़कर
 दूसरे ग्रह अर्थात दूसरी होरा मंगल को छोड़कर चंद्र की होगी। इसी प्रकार
अन्य होरायें होंगी और हर आठवीं होरा पुनः आ जायेगी। यानी बुधवार को आठवीं
 होरा पुनः बुध की ही होगी। इस प्रकार जातक अपने महत्वपूर्ण कार्यों के लिये अंक
 पर आधारित राशि और नक्षत्रों का भी प्रयोग कर  सकते हैं।
                                                                                                                                      संग्रहीत 

1 comment:

Unknown said...

bahut barhiya
amit

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