कर्क लग्न विचार
कर्क राशि में जन्मे जातक प्रायशः बचपन में दुबले और बाद में मोटे शरीर वाले हो जाते है | इनका कद मध्यम होता है | ये शांत,विनम्र,परिश्रमी, दृढ़ निश्चयी,उदार,कोमल हृदयी,संवेदन शील,भावुक,और स्वच्छ आचरण वाले होते है| इनके अन्दर कल्पना व चिंतन शक्ति ज्यादा होती है | अपने मुताबिक काम न होने पर ये क्रोधित हो जाते हैं | यदि चन्द्रमा पाप प्रभाव से मुक्त हो तो ये समाज में प्रिय और सम्माननीय होते हैं | ये अपना स्थान जनता के बीच में अपने से ही बना लेते है इनको बहुत किसी की आवश्यकता नहीं होती | इनको यश और धन जीवन में पर्याप्त मिलता है | ये परिवार से प्यार करते हैं और अपने संतान को सफल बनाने के लिए उसे पूर्णतया प्रेरित करते हैं | ये भ्रमण शील स्वभाव के होते हैं | ये अपने सूझ-बूझ से पर्याप्त धन एकत्रित करते हैं| कभी कभी ये लोग अनावश्यक चिंता करते हैं | बहुत ही कोमल स्वभाव के होने के कारण तुरंत चिंतित भी हो जाते हैं | इनको शीतल प्रदेश से बहुत लगाव होता है | ये स्त्री वर्ग से बहुत प्रेम करते हैं| यदि इनका जन्म पुष्य नक्षत्र में होता है तो ये सुभग ,सुन्दर,प्रसिद्धि को प्राप्त करने वाले होते हैं | ये स्वभाव से सभी की मदद करने वाले दयालु होते हैं | सच्ची बात कहना और सुनना इनका स्वभाव होता है | प्रायः ये लोग भारी शरीर वाले नहीं होते हैं अर्थात इनका शरीर सुगठित होता है | इनके अन्दर काम वासना ज्यादा होती है पर ये अवैध संबंधों से दूर ही रहते हैं | विविध कलाओं को जानना , उन्हें परखना,प्रशंसा करना,कला रसिक होना,इनके व्यक्तित्व के अतिरिक्त गुण होते हैं| ये लोग रूखे नहीं होते हैं अर्थात हास-परिहास में कुशल होते हैं| ये लोग माता पिता का सम्मान करने वाले होते हैं| इतिहास और देश प्रेम से इनका स्वाभाविक सम्बन्ध होता है | इनका जीवन यापन चन्द्रमा के अनुसार ही ज्यादातर देखा गया है | इनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा जिस स्थान में होता है उसी स्थान के अनुसार इनके आय के साधन होता है | चंद्रमा पर जिन ग्रहों का प्रभाव होगा वे ग्रह भी कारक होंगे| यदि चंद्रमा १ (लग्न) में होगा तो स्वयं का व्यवसाय,२ विद्या के द्वारा,३ यात्रा और दलाली के द्वारा,4स्थिर संपत्ति के द्वारा, ५
बुद्धि के द्वारा, ६ नौकरी के द्वारा,७ पत्नी\ व्यवसाय के द्वारा,८ साहसिक कार्यों के द्वारा, ९ धार्मिक कार्य और शिक्षा के द्वारा,१० स्वतंत्र व्यवसाय के द्वारा, ११ पारिवारिक व्यवसाय के द्वारा,१२ यात्रा और भासन कला के द्वारा जीवन यापन होता है | आगे कर्क कुंडली में ग्रहों का क्या फल होगा ? इस विषय पर विचार करेंगे |
पाठकों से निवेदन है क़ि यह विषय आपको कितना प्रभावी लगा जरूर लिखें |
Thursday, July 15, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Featured Post
पाराशर के अनुसार ग्रह दृष्टि
पश्यन्ति सप्तमं सर्वे शनि जीव कुजः पुनः । विशेषतश्च त्रिदशत्रिकोणचतुरष्टमान् || भावः - यहाँ पर ग्रहों की दृष्टि के बारे में बतलाते हु...
-
jyotish,bhavishya,dainik rashiphal,rashifal,sury,chnadra,mangal,budh,guru,shukr,shani,rahu,ketu,kundali
-
यह कुंडली चक्र राशी स्वामी को बताता है जैसे -मेष का स्वामी मंगल ,वृषभ का स्वामी शुक्र इत्यादि ......... इसी को कालपुरुष कुंडली चक्र भी कहते...
-
पश्यन्ति सप्तमं सर्वे शनि जीव कुजः पुनः । विशेषतश्च त्रिदशत्रिकोणचतुरष्टमान् || भावः - यहाँ पर ग्रहों की दृष्टि के बारे में बतलाते हु...
2 comments:
Kark lagan par di gayi jaankari meri drashti me shat pratishat sahi he, mera lagan bhi kark he. kark lagan me vibhin graho ke prabhav ko spasht karne ki kripa kare. dhanyavaad.
Acharya ji namaskaar
aapke lekhon ko mai hamesha padti hu.mera nivedan hai ki aap kuchh n kuchh hamesha jyotish ke bare me likhate rahe.
Post a Comment