Wednesday, November 03, 2010

दीपावली में पूजन और जप

दीपावली में पूजन और जप में सहयोगी विधि और मन्त्र -
सायं समय निश्चित मुहूर्त में कमल बीज ,धनिया,गुड,सिन्दूर,कमल का फूल ,देवी फूल,सफ़ेद तिल .दूर्वा,आदि सामग्री लेकर उत्तर या पूर्वाग्र दीपक जलाएं ,
कलश को बनाकर एक लकड़ी के आसन  में  गणेश लक्ष्मी विष्णु इन्द्र कुबेर आदि की प्रतिमा रखें
पश्चात क्रमशः सभी का पूजन करें
मन्त्र -
ह्रीं महालक्ष्म्यै नमः 
ह्रीं 
क्लीं 
ह्रीं कमलालयायै नमः 
आदि किसी भी मन्त्र से माता क पूजन और जप करना लाभकारी होगा,. 

दीपावली पर्व की हार्दिक शुभ कामनाएं

सभी बंधुओं को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभ कामनाएं 
आप सभी के लिए यह पर्व आनंद दायक हो 
दीपावली पूजन का मुहूर्त 
३-११-२०१० को धनतेरस है जिसमें नए वस्तुओं का क्रय शुभ होता है ,आज के ही दिन सायं समय घर के बाहर दीप दान शुभ होता है 
०४-११-२०१० को नरक चतुर्दशी है अतः सायं समय दक्षिण दिशा के तरफ दीप का मुख करके दीप जलाना शुभ होता है 
 ०५-११-२०१० को दीपावली है  लक्ष्मी इन्द्र ,कुबेर ,विष्णु गणेश आदि की पूजा अतीव शुभ होती है,
पूजन के मुहूर्त-प्रथम मुहूर्त=सायं ०६-१० से ०८-०६ के अन्दर 
दूसरा मुहूर्त -रात १२-३८ से २-५२ के अन्दर अच्छा रहेगा 
जिन व्यक्तियों की वृष लगन,तुला,मिथुन,कन्या,मकर,कुम्भ लग्न या राशी हो उसके लिए प्रथम मुहूर्त 
अन्य राशी लग्न वालों के लिए द्वतीय मुहूर्त  शुभ होगा 
०४-११-२०१० के सायं समय में ४-३७ के बाद ०६-१४ के अन्दर हनुमत जन्मोत्सव होगा    

Monday, November 01, 2010

सूर्य विचार


बारह भावों में सूर्य की स्थिति


सूर्य विचार

सूर्य का अन्य ग्रहों के साथ सम्बन्ध 




सूर्य विचार

सूर्य का अन्य ग्रहों के सम्बन्ध 

  • सूर्य और चन्द्र दोनो के एक साथ होने पर सूर्य को पिता और चन्द्र को यात्रा मानने पर पिता की यात्रा के प्रति कहा जा सकता है.सूर्य राज्य है तो चन्द्र यात्रा राजकीय यात्रा भी कही जा सकती है.एक संतान की उन्नति जन्म स्थान से बाहर होती है.
  • सूर्य और मंगल के साथ होने पर मंगल शक्ति है अभिमान है,इस प्रकार से पिता शक्तिशाली और प्रभावी होता है.मंगल भाई है तो वह सहयोग करेगा,मंगल रक्त है तो पिता और पुत्र दोनो में रक्त सम्बन्धी बीमारी होती है,ह्रदय रोग भी हो सकता है.दोनो ग्रह १-१२ या १७ में हो तो यह जरूरी हो जाता है.स्त्री चक्र में पति प्रभावी होता है,गुस्सा अधिक होता है,परन्तु आपस में प्रेम भी अधिक होता है,मंगल पति का कारक बन जाता है.
  • सूर्य और बुध में बुध ज्ञानी है,बली होने पर राजदूत जैसे पद मिलते है,पिता पुत्र दोनो ही ज्ञानी होते हैं.समाज में प्रतिष्ठा मिलती है.जातक के अन्दर वासना काभंडार होता है,दोनो मिलकर नकली मंगल का रूप भी धारण करलेता है.पिता के बहन हो और पिता के पास भूमि भी हो,पिता का सम्बन्ध किसी महिला से भी हो.
  • सूर्य और गुरु के साथ होने पर सूर्य आत्मा है,गुरु जीव है.इस प्रकार से यह संयोग एक जीवात्मा संयोग का रूप ले लेता है.जातक का जन्म ईश्वर अंश से हो,मतलबपरिवार के किसी पूर्वज ने आकर जन्म लिया हो,जातक में दूसरों की सहायता करने का हमेशा मानस बना रहे,और जातक का यश चारो तरफ़ फ़ैलता रहे,सरकारी क्षेत्रों में जातक को पदवी भी मिले.जातक का पुत्र भी उपरोक्त कार्यों में संलग्न रहे,पिता के पास मंत्री जैसे काम हों,स्त्री चक्र में उसको सभी प्रकार के सुख मिलते रहें,वह आभूषणों आदि से कभी दुखी न रहे,उसे अपने घर और ससुराल में सभी प्रकार के मान सम्मान मिलते रहें.
  • सूर्य और शुक्र के साथ होने पर सूर्य पिता है और शुक्र भवन,वित्त है,अत: पिता के पास वित्त और भवन के साथ सभी प्रकार के भौतिक सुख हों,पुत्र के बारे में भी यह कह सकते हैं.शुक्र रज है और सूर्य गर्मी अत: पत्नी को गर्भपात होते रहें,संतान कम हों,१२ वें या दूसरे भाव में होने पर आंखों की बीमारी हो,एक आंख का भी हो सकता है.६ या ८ में होने पर जीवन साथी के साथ भी यह हो सकता है.स्त्री चक्र में पत्नी के एक बहिन हो जो जातिका से बडी हो,जातक को राज्य से धन मिलता रहे,सूर्य जातक शुक्र पत्नी की सुन्दरता बहुत हो.शुक्र वीर्य है और सूर्य गर्मी जातक के संतान पैदा नही हो.स्त्री की कुन्डली में जातिका को मूत्र सम्बन्धी बीमारी देता है.अस्त शुक्र स्वास्थ्य खराब करता है.
  • सूर्य और शनि के साथ होने पर शनि कर्म है और सूर्य राज्य,अत: जातक के पिता का कार्य सरकारी हो,सूर्य पिता और शनि जातक के जन्म के समय काफ़ी परेशानी हुई हो.पिता के सामने रहने तक पुत्र आलसी हो,पिता और पुत्र के साथ रहने पर उन्नति नही हो.वैदिक ज्योतिष में इसे पितृ दोष माना जाता है.अत: जातक को रोजाना गायत्री का जाप २४ या १०८ बार करना चाहिये.
  • सूर्य और राहु के एक साथ होने पर सूचना मिलती है कि जातक के पितामह प्रतिष्ठित व्यक्ति होने चाहिये,एक पुत्र सूर्य अनैतिक राहु हो,कानून विरुद्ध जातक कार्य करता हो,पिता की मौत दुर्घटना में हो,जातक के जन्म के समय में पिता को चोट लगे,जातक को संतान कठिनाई से हो,पिता के किसी भाई को अनिष्ठ हो.शादी में अनबन हो.
  • सूर्य और केतु साथ होने पर पिता और पुत्र दोनों धार्मिक हों,कार्यों में कठिनाई हो,पिता के पास भूमि हो लेकिन किसी काम की नही हो

सूर्य विचार

सूर्य के गाहों के साथ फल 
  • चन्द्र के साथ इसकी मित्रता है.अमावस्या के दिन यह अपने आगोश में लेलेता है.
  • मंगल भी सूर्य का मित्र है.
  • बुध भी सूर्य का मित्र है तथा हमेशा सूर्य के आसपास घूमा करता है.
  • गुरु यह सूर्य का परम मित्र है,दोनो के संयोग से जीवात्मा का संयोग माना जाता है.गुरु जीव है तो सूर्य आत्मा.
  • शनि सूर्य का पुत्र है लेकिन दोनो की आपसी दुश्मनी है,जहां से सूर्य की सीमा समाप्त होती है,वहीं से शनि की सीमा चालू हो जाती है."छाया मर्तण्ड सम्भूतं" के अनुसार सूर्य की पत्नी छाया से शनि की उतपत्ति मानी जाती है.सूर्य और शनि के मिलन से जातक कार्यहीन हो जाता है,सूर्य आत्मा है तो शनि कार्य आत्मा कोई काम नही करती है.इस युति से ही कर्म हीन विरोध देखने को मिलता है.
  • शुक्र रज है सूर्य गर्मी स्त्री जातक और पुरुष जातक के आमने सामने होने पर रज जल जाता है.सूर्य का शत्रु है.
  • राहु सूर्य और चन्द्र दोनो का दुश्मन है.एक साथ होने पर जातक के पिता को विभिन्न समस्याओं से ग्रसित कर देता है.
  • केतु यह सूर्य से सम है.

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सूर्य विचार


भारतीय ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है.सूर्य से सम्बन्धित नक्षत्र कृतिका उत्तराषाढा और उत्तराफ़ाल्गुनी हैं.यह भचक्र की पांचवीं राशि सिंह का स्वामी है.सूर्य पिता का प्रतिधिनित्व करता है,लकडी मिर्च घास हिरन शेर ऊन स्वर्ण आभूषण तांबा आदि का भी कारक है.मन्दिर सुन्दर महल जंगल किला एवं नदी का किनारा इसका निवास स्थान है.शरीर में पेट आंख ह्रदय चेहरा का प्रतिधिनित्व करता है.और इस ग्रह से आंख सिर रक्तचाप गंजापन एवं बुखार संबन्धी बीमारी होती हैं.सूर्य की जाति क्षत्रिय है.शरीर की बनाव सूर्य के अनुसार मानी जाती है.हड्डियों का ढांचा सूर्य के क्षेत्र में आता है.सूर्य का अयन ६ माह का होता है.६ माह यहदक्षिणायन यानी भूमध्य रेखा के दक्षिण में मकर वृत पर रहता है,और ६ माह यह भूमध्य रेखा के उत्तर में कर्क वृत पर रहता है.इसका रंग केशरिया माना जाता है.धातु तांबा और रत्न माणिक उपरत्न लाडली है.यह पुरुष ग्रह है.इससे आयु की गणना ५० साल मानी जाती है.सूर्य अष्टम मृत्यु स्थान से सम्बन्धित होने पर मौत आग से मानी जाती है.सूर्य सप्तम द्रिष्टि से देखता है.सूर्य की दिशा पूर्व है.सबसे अधिक बली होने पर यह राजा का कारक माना जाता है.सूर्य के मित्र चन्द्र मंगल और गुरु हैं.शत्रुशनि और शुक्र हैं.समान देखने वाला ग्रह बुध है.सूर्य की विंशोत्तरी दशा ६ साल की होती है.सूर्य गेंहू घी पत्थर दवा और माणिक्य पदार्थो पर अपना असर डालता है.पित्त रोग का कारण सूर्य ही है.और वनस्पति जगत में लम्बे पेड का कारक सूर्य है.मेष के १० अंश पर उच्च और तुला के १० अंश पर नीच माना जाता है.सूर्य का भचक्र के अनुसार मूल त्रिकोण सिंह पर ० अंश से लेकर १० अंश तक शक्तिशाली फ़लदायी होता है.सूर्य के देवता भगवान शिव हैं.सूर्य का मौसम गर्मी की ऋतु है.सूर्य के नक्षत्रकृतिका का फ़ारसी नाम सुरैया है.और इस नक्षत्र से शुरु होने वाले नाम ’अ’ ई उ ए अक्षरों से चालू होते हैं.इस नक्षत्र के तारों की संख्या अनेक है.इसका एक दिन में भोगने का समय एक घंटा है.



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पाराशर के अनुसार ग्रह दृष्टि

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