षष्ठ भाव -
यह भाव बाधा ,परेशानी,रोग,शत्रु,मामा,नौकर,नौकरी,क्रूर कर्म का कारक है
सप्तम भाव-
विवाह,पत्नी,व्यापर,यात्रा,जननांग, पत्नी के द्वारा लाभ ,विवाह की दिशा,विवाह का समय,पत्नी का स्वभाव आदि का विचार किया जाता है
http://www.blogger.com/post-create.g?blogID=5926081360506889665
Wednesday, March 31, 2010
Friday, March 26, 2010
द्वितीय भाव,तृतीय भाव,चतुर्थ भाव ,पंचम भाव,
प्रथम भाव के बाद हम द्वितीय भाव का विचार करते हैं -
द्वितीय भाव को धन भाव भी कहते हैं अतः धन ,कुटुंब,परिवार,संचित धन ,आँख,वाणी ,का विचार किया जाता है
तृतीय भाव -पराक्रम भाई, निकट देश की यात्रा ,कान ,हाँथ,का विचार करते हैं
चतुर्थ भाव - माँ ,स्थिर संपत्ति,जल,भूमि,मकान,उत्तर दिशा ,ह्रदय,वाहन विचार करते हैं
पंचम भाव - पुत्र -पुत्री,मन्त्र, बुद्धि,राज्य कृपा,विद्या,ज्ञान, पेट का विचार किया जाता है
द्वितीय भाव को धन भाव भी कहते हैं अतः धन ,कुटुंब,परिवार,संचित धन ,आँख,वाणी ,का विचार किया जाता है
तृतीय भाव -पराक्रम भाई, निकट देश की यात्रा ,कान ,हाँथ,का विचार करते हैं
चतुर्थ भाव - माँ ,स्थिर संपत्ति,जल,भूमि,मकान,उत्तर दिशा ,ह्रदय,वाहन विचार करते हैं
पंचम भाव - पुत्र -पुत्री,मन्त्र, बुद्धि,राज्य कृपा,विद्या,ज्ञान, पेट का विचार किया जाता है
Thursday, March 25, 2010
ज्योतिष, भविष्य ,ग्रह विचार, हिन्दू धर्म, फलित विचार ,
हमने अभी तक ग्रहों की राशि उच्च-नीच राशियों का अध्ययन किया अब बारह भावों से क्या क्या विचार किया जाता है इस पर अध्ययन करेंगे
सबसे पहले प्रथम (पहला) भाव -
१ - शरीर ,स्वभाव ,गुण,आकृति,कद,रंग,चिह्न,
२- आयु (शरीर के अनुसार ),स्वास्थ्य,
३ विवेक ,बल,
४ सुख,दुःख,तेज,स्थान।
कारक-इस भाव का कारक सूर्य होता है
सबसे पहले प्रथम (पहला) भाव -
१ - शरीर ,स्वभाव ,गुण,आकृति,कद,रंग,चिह्न,
२- आयु (शरीर के अनुसार ),स्वास्थ्य,
३ विवेक ,बल,
४ सुख,दुःख,तेज,स्थान।
कारक-इस भाव का कारक सूर्य होता है
Sunday, March 21, 2010
शुभ कामनाएं
my kundali,jyotish,bhavishya,dainik rashiphal,rashifal
सभी पाठकों और भारतीय बंधुओं को नव वर्ष और नव नवरात्री की शुभ कामनाएं
सभी पाठकों और भारतीय बंधुओं को नव वर्ष और नव नवरात्री की शुभ कामनाएं
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jyotish,bhavishya,dainik rashiphal,rashifal,sury,chnadra,mangal,budh,guru,shukr,shani,rahu,ketu,kundali
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