Tuesday, October 26, 2010

हाथ से जाने अपना भविष्य

वैज्ञानिक अध्ययन से यह पता चलता है कि मस्तिष्क की मूल शिराओं का हाथ के
 अंगूठे से सीधा संबंध है। स्पष्टतः अंगुष्ठ बुद्धि की पृष्ठ भूमि और प्रकृति को दर्शाने
 वाला सबसे महत्वपूर्ण अंग है। बाएं हाथ के अंगूठे से विरासत में मिली 
मानसिक वृति का आकलन किया जाता है और दायें हाथ के अंगूठे से स्वअर्जित
 बुद्धि-चातुर्य और निर्णय क्षमता का अंदाजा लगाना संभव है। अंगूठे और हथेली
 का मिश्रित फल व्यक्ति को अपनी प्रकृति के अनुसार ढाल पाने में सक्षम है। व्यक्ति 
के स्वभाव और बुद्धि की तीक्ष्णता को अंगुष्ठ के बाद अंगुलियों की बनावट और 
मस्तिष्क रेखा सबसे अधिक प्रभावित करती है।
अमेरिकी विद्वान विलियम जार्ज वैन्हम के अनुसार व्यक्ति के हाव-भाव और पहनावे
 से उसके स्वभाव के बारे में आसानी से बताया जा सकता है।
अतीव बुद्धि संपन्न लोगों का अंगुष्ठ पतला और पर्याप्त लंबा होता है। यह पहली अंगुली 
(तर्जनी) से बहुत पृथक भी स्थित होता है। यह व्यक्ति के लचीले स्वभाव को व्यक्त करता है।
 इस प्रकार के लोग किसी भी माहौल में स्वयं को ढाल सकने में कामयाब हो सकते हैं। 
ये काफी सहनशील भी देखे जाते हैं। इन्हें न तो सफलता का ही नशा चढ़ता है और न
 ही विफलता की परिस्थितियों से ही विचलित होते हैं। इनकी सबसे अच्छी विशेषता 
या गुण इनका लक्ष्य के प्रति निरंतरता है। लेकिन यदि अंगुष्ठ का नख पर्व (नाखून वाला भाग)
 यदि बहुत अधिक पतला है तो व्यक्ति अंततः दिवालिया हो जाता है और यदि यह पर्व
 बहुत मोटा गद्दानुमा है तो ऐसा व्यक्ति दूसरों के अधीन रह कर कार्य करता है। यदि नख पर्व
 गोल हो और अंगुलियां छोटी और हथेली में शनि और मंगल का प्रभाव हो तो जातक स्वभाव
 से अपराधी हो सकता है।

अंगुलियां कुल हथेली के चार में से तीन भाग के समक्ष होनी चाहिए। इससे कम होने से जातक कुएं का मेढक होता है। उसके विचारों में संकीर्णता और स्वभाव में अति तक की मितव्ययता होती है। सीमित बुद्धि संपन्न ये जातक भारी और स्थूल कार्यों को ही कर पाते हैं। बौद्धिक कार्य इनके लिए दूर की कौड़ी होती है। अक्सर इनको स्वार्थी भी देखा गया है। इस प्रकार की अंगुलियां यदि विरल भी हो तो आयु का नाश करती हैं।





अंगुलियां के अग्र भाग नुकीले रहने से काल्पनिक पुलाव पकाने की आदत होती है। जिससे व्यक्ति जीवन की वास्तविकता से अनभिज्ञ रहते हुए एक असफल जीवन जीता है।
अंगुलियां लंबी होने से जातक बौद्धिक और सूक्ष्मतम कार्य बड़ी सुगमता से पूर्ण कर लेता है और स्थूल कार्य भी इसकी पहुंच से बाहर नहीं होते हैं। बहुत बार इस प्रकार के जातक नेतृत्व करते देखे जाते हैं। 
इस प्रकार की अंगुलियों के साथ हाथ यदि बड़ा और चमसाकार हो तो जातक अपनी क्षमता
 का लोहा समाज को मनवा लेता है। लंबी अंगुलियों के साथ यदि हथेली में शुक्र मुद्रिका भी हो
 तो जातक सर्वगुण संपन्न होते हुए भी भावुकतावश प्रगति के मार्ग में पिछड़ जाता है। शनि 
मुद्रिका होने से दुर्भाग्य साथ नहीं छोड़ता है। इस प्रकार के जातक अपनी योग्यता और क्षमता
 का पूर्ण दोहन नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण इनको जीवन में सीमित उपलब्धियों से ही 
संतोष करना होता है। चंद्रमा का बहुत प्रभाव होने से जातक पर यथार्तता की अपेक्षा कल्पना
 हावि रहती है।
अंगुलियों के नाखून जब त्वचा में अंदर तक धंसे हों, साथ ही ये आकार में सामान्य से छोटे
 हों तो जातक बुद्धि कमजोर होती है। इसकी मनोवृत्ति सीमित और आचरण बचकाना होता है।
 ये जातक आजीविका हेतु इस प्रकार के कार्य करते पाए जाते हैं, जिनमें बौद्धिक / शारीरिक
 मेहनत न के बराबर होते होती है।
कनिष्ठा सामान्य से अधिक छोटी हो तो जातक मूर्ख होता है। कनिष्ठा के टेढी रहने से
 जातक अविश्वसनीय होता है। टेढ़ी कनिष्ठा को कुछ विद्वान चोरी करने की वृत्ति से भी 
जोड़ते हैं। 
लेकिन इसे तभी प्रभावी मानना चाहिए जब हथेली में मंगल विपरीत हो, क्योंकि ग्रहों में
 मंगल चोर है।
अंगुलियों का बैंक बैलेंस से सीधा संबंध है। केवल अंगुलियों का निरक्षण कर लेने भर से ही 
इस तथ्य का अंदाजा लगाया जा सकता है कि व्यक्ति में धन संग्रह की प्रवृत्ति कहां तक है। 
तर्जनी (पहली अंगुली) और मध्यमा (बीच की अंगुली) यदि बिरल (मध्य में छिद्र) हों तो
 निश्चित रूप से जीवन के मध्य काल के बाद ही धन का संग्रह हो पाता है। यदि कनिष्ठा
 विरल हो तो वृद्धावस्था अर्थाभाव में व्यतीत होती है। यदि अंगुलियों के मूल पर्व गद्देदार 
और स्थूल हों तो जीवन में विलास का आधिक्य रहता है। सभी अंगुलियों के विरल होने 
से जीवन पर्यन्त धन की कमी रहती है। सीधी, चिकनी और गोल अंगुलियां धन को 
बढ़ा देती है। सूखी अंगुलियां धन का नाश करती हैं।

वे अंगुलियां जिनके जोड़ों की गांठें बहुत उभरी हुई हों, संवेदनशील और कंजूस प्रवृत्ति दर्शाती हैं। लेकिन ऐसी उंगलियों वाले जातक कड़ी मेहनत कर सकते हैं। यही इनकी सफलता का रहस्य होता है।
अंगूठे और अंगुलियों के आकार-प्रकार के अलावा हाथ की बनावट से हमें काफी कुछ 
जानकारी प्राप्त होती है।
समचौरस हथेली के स्वामी व्यवहारिक होते हैं। लेकिन ऐसे लोग स्वार्थी भी होंगे। साथ
 ही समय आने पर किसी को धोखा भी दे सकते हैं। इसके विपरीत लंबवत हथेली के 
]स्वामी भावुक और कल्पनालोक में विचरण करने वाले लोग होंगे। आमतौर पर ये 
जीवन में स्वतंत्र रूप से सफल नहीं रहते हैं। तथापि ये नौकरी में ज्यादा सफल रहते हैं।
 ऐसे लोग यदि स्वयं का व्यवसाय स्थापित करें तो प्रायः लंबा नुकसान उठाते हैं।
 अतः ऐसे लोगों को हमेशा नौकरी को तरजीह देनी चाहिए।
हथेली का पृष्ठभाग समतल या कुछ उभार लेते हुए होना चाहिए। ऐसी हथेली का जातक व्यवहारिक होता है। यदि हथेली का करपृष्ठ बहुत अधिक उभार लिए हुए हो तो प्रायः व्यक्ति कर्कश स्वभाव और झगड़ालू होता है।
हथेली में जब गहरा गढ़ा हो तो प्रायः जातक अपनी बात पर कायम नहीं रह पाता है। 
ऐसे लोग जीवन मे अत्यंत संघर्ष के उपरांत ही कुछ हासिल कर पाते हैं।
हथेली का पृष्ठ भाग और कलाई हमेशा समतल होनी चाहिए। यदि दोनों में ज्यादा अंतर है 
तो यह जातक को समाज में स्थापित होने से रोकती है। ऐसे लोग अपने परिजनों से
 विरोध करते हैं। समाज में इनकी प्रतिष्ठा कम होती है।
जिन हाथों में शनि-मंगल का प्रभाव हो वे लोग कानूनी समस्याओं का सामना करते हैं।
 कुछ मामलों में ऐसे लोग अपराधी भी हो सकते हैं।
हथेली में राहु का प्रभाव होने पर जातक बुरी आदतों का शिकार होता है। वह धर्मभ्रष्ट 
भी हो सकता है। मदिरापान कर सकता है या अभक्षण का भी भक्षण कर सकता है।03%

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