Tuesday, September 28, 2010

श्राद्ध एक विचार

जीवन की परिसमाप्ति मृत्यु से होती है | इस ध्रुव सत्य को सभी ने स्वीकार किया है और यह प्रत्यक्ष प्रमाण है | जीवात्मा इतना सूक्ष्म है क़ि जब वह शरीर से निकलता है ,उस समय कोई भी मनुष्य उसे अपने इन आँखों से नहीं देख सकता और वही जीवात्मा अपने कर्मों के भोगों को भोगने के लिए एक अंगुष्ठ पर्व परिमित एक सूक्ष्म शरीर धारण करता था 
तत् क्षणात सः अथ गृह्णाति शरीरं चाति वाहकं॥ अङ्गुष्ठपर्व मात्रं तु स्व प्राण रेव निर्मितं ॥
इस अतीन्द्रिय शरीर से ही जीवत्मा अपने द्वारा किये हुये धर्म और अधर्म के परिणाम स्वरूप सुख दुख को भोगता है तथा इसी सूक्ष्म शरीर से पाप करनेवाले मनुष्य 
दक्षिण मार्ग के दंडों को भोगते हुए यम के पास जाता है| हमारे शास्त्रों पुराणों में म्रत्यु के बाद मनुष्य के कल्याण के लिए जो पुन्यात्मक कर्म बताये गए हैं उन्ही को श्राद्ध के नाम से जाना जाता है | यद्यपि यह विषय भी कई बार व्यक्ति के मन में आता है की मरण के बाद मनुष्य का क्या कल्याण? परन्तु हमारे ऋषियों ने इस विषय को भी  स्पष्ट किया है जो हम क्रमशः समझेंगे |
                               
 १ प्रश्न  - श्राद्ध क्या है ? 
उत्तर -पितरों के उद्देश्य से विधिपूर्वक श्रद्धा पूर्वक जो  भी किया जाता है वह ही श्राद्ध है |   श्राद्ध शब्द से ही श्राद्ध की उतपत्ति हुई है | महर्षि पराशर के अनुसार -
देश,काल, तथा पात्र  में हविष्य विधि द्वारा जो कर्म किया जाता है वह ही श्राद्ध है | 
२- श्राद्ध करने से कर्ताका क्या लाभ है ?
उत्तर- कूर्म पुराण में कहा  गया है-
जो मनुष्य विधि पूर्वक ,शांत मन होकर श्राद्ध करता है वह अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करता है | परन्तु जिसने यदि जानबूझकर उनके जीवित अवस्था में दुःख का कारन बना है वह श्राद्ध करके भी कल्याण नहीं प्राप्त करता है |
३- श्राद्ध न करने से क्या हानि   होती है ?
शास्त्रों के अनुसार तो बहुत ही कठिन परिणाम बताये गए हैं | व्यक्तिगत मैंने अपने जीवन में देखा है की जो भी या जिसके कुल में श्राद्ध नहीं किया जाता है वह भी अपने पितरों के द्वारा भुक्त कष्टों को भोगता है | अधिकतर वंश परम्परा से प्राप्त रोग भी उन्ही लोगों को होता है जो की अपने माता-पिता का जीवित अवस्था में सम्मान नहीं करते और बाद में उनका श्राद्ध नहीं  करते हैं|
ज्यादातर माता-पिता के मृत्यु का कारन भी उसी वंश में पुनः मृत्यु का कारण बनता है| जो लोग अपने परिजनों का श्राद्ध नहीं करते हैं उन्हें संतान कष्ट भी होता है यदि संतान हो गई तो उससे भी परेशानियाँ होती रहती हैं | क्रमशः ..................    

4 comments:

Unknown said...

Achary ji Namaskaar
kya hum pratidin pitra paksh men shraddh kar sakte hain?
amit sharma

Anonymous said...

ateev sundar parays hai apka bhupendra ji
umakant

Anonymous said...

bhupendra
aapne shraddh vishay men achha likha hai parantu yadi aap kuchh shraddh ko karne ke baren men likhen to aur bhi achha hoga viase aap sahee samay men jankaari dene ka prayas kar rahe hain
umakant

Unknown said...

bhupendra
aapne yah achha kiya hai,shraddh vishay men janna hamare liye bahut jaroori hai kyonki hamare bhartiya parampraa ka yah vishesh niyam hai
isliye is vishay ke sambanddh me hamara kya kam hona chahiye,kripya vah bhe likhen,

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