Friday, September 03, 2010

अनफा योग

चन्द्रमा से द्वादशस्थ कोई ग्रह हो, किन्तु द्वितीय स्थान ग्रह शुन्य हो तो उसे ‘अनफा योग’ कहते हैं। यहाँ सूर्य को छोड़ कर अन्य ग्रहों की उपस्थिति अपेक्षित है। ‘यवन’ के कथनानुसार यदि चन्द्रमा से दशम में सूर्यातिरिक्त कोई ग्रह हो तो ‘अनफा योग होता है। ‘अनफा’ योग वाला जातक शीलवान्, कीर्त्ति-ख्याति वाला, सांसारिक विषयों से सुखी, सन्तोषी, शरीर से पुष्ट और स्वस्थ होता है। अनफा योग में चन्द्रमा से द्वादस्थ ग्रहों का फलादेश यदि चन्द्रमा से मंगल द्वादस्थ हो तो जातक रणोत्सुक, क्रोधी, मानी और डाकुओं का सरदार होता है। परन्तु उसका रूप आकर्षक होता है। यदि बुध हो तो वह चित्रकारी, गान-विद्या का व्याख्याता, विद्वान् वक्ता, यशस्वी, सुन्दर और राजा से सम्मानित होता है। यदि बृहस्पति हो तो जातक अत्यन्त मेधावी, गम्भीर, गुणज्ञ, शुद्ध व्यावहारिक, धनी एवं मानी और राजा से सम्मानित होता है। यदि शुक्र हो तो जातक स्त्रियों के लिये चित्ताकर्षक होता है। अत्यन्त बुद्धिमान्, धन से सम्पन्न और बहुतेरे पशुओं का स्वामी भी होता है। शनि हो तो जातक आजानु-बाहु, गुणवान्, नेता, पश्वादियों का स्वामी होता है और ऐसे जातक की वाणी सर्व-ग्रहिणी होती हैं परन्तु इसका विवाह किसी एक दुष्टा स्त्री से होता है।


No comments:

Featured Post

पाराशर के अनुसार ग्रह दृष्टि

पश्यन्ति सप्तमं सर्वे शनि जीव कुजः पुनः ।  विशेषतश्च त्रिदशत्रिकोणचतुरष्टमान् || भावः - यहाँ पर ग्रहों की दृष्टि के बारे में बतलाते हु...