व्रत का अर्थ संकल्प से है हम किसी कार्य को लेकर जब दृढ़संकल्प हो जाते हैं तब वह व्रत कहलाता है |
व्रत में क्रोध , मोह,लोभ,हिंसा, आदि बैटन से सर्वथा दूर रहना ही उचित होता है|
व्रत में बार-बार जल पीना ज्यादा बोलना , बहस करना,सोना, और उबासी लेना भी मना है|
व्रत में किसी की बुराई करना , किसी का मजाक उड़ाना, भी मना है |
व्रत में अपने इष्ट का ध्यान ,पूजन,जप,हवन,तर्पण शुद्ध विचारों व वस्तुओं से करना चाहिए |
हमेशा प्रकृति की रक्षा करना, किसी भी प्रकार की हानिकारक वस्तुओं से दूर रहना ही व्रत के उत्तम लक्षण है |
व्रत जबरदस्ती ,दिखावे में,आतुरता में ,लोभ में, क्रोध में, किसी का अनिष्ट करने के उद्देश्य से नहीं करना चाहिए|
वह व्रत ही सबसे उत्तम होता है जो दूसरों के कल्याण के लिए , उत्तम विचारों के लिए , शरीर के स्वास्थ्य के लिए किया जाता है |
व्रत का तात्पर्य केवल भूखे रहना नहीं है |
व्रत तो वह परम पवित्र कार्य है जो अपने विचारों को एक सरलता देते हुए हमें कर्म की तरफ प्रेरित करता है
हमारे देश के जवान हमारी रक्षा के लिए हमेशा तैयार हैं यह भी एक उत्तम और पवित्र व्रत है |
यदि हम अपने देश के लिए हानिकारक कार्य ,विचार और वस्तुओं से दूर रहते हैं तो यह भी एक व्रत है |
कोई गलत न बोलने का , गलत न करने का संकल्प लिया है या ऐसा नहीं करता तो यह भी उत्तम व्रत है |
हम जिस देवता का व्रत करते हैं उस देवता का पूजन करने की अपेक्षा उसको अच्छे लगने वाले विचारों का पालन करें उसके बताये हुए मार्ग पर चलें तो वह देवता तुरन्त प्रसन्न होता है|
देवता वस्तु नहीं कुविचारों का त्याग चाहता है | देवता कोलाहल नहीं शांति चाहता है | देवता आलस्य नहीं कर्म चाहता है | देवता भोग नहीं त्याग चाहता है | जिस दिन हम अपने गलत कार्यों, आदतों को अपने से अलग कर देंगे उस दिन देवता तृप्त हो जायेगा | वह आपको स्वयं देवता बना देगा | इसी लिए हमारे धर्म शास्त्र कहते हैं कि- देवो भूत्वा यजेत देवं - देवता को वस्तु मत दिखाना,भाव.दिखाना, वह मुर्ख नहीं अंधा नहीं है वह सब जनता है अतः उसके पास वैसे ही जाओ वह खुश होकर वह सब कुछ देगा जो आप चाहते हो जो आपको चाहिए | यदि मेरी बात में विश्वास नहीं तो केवल एक दिन उसके जैसा जीकर देखिये आपका व्रत पूरा हो जायेगा, आपकी साधना सफल हो जायेगी |
धन्यवाद ...........................
18 comments:
Dear Sir, I am very much impressed by your noble and ideal thoughts. you wrote such a meaningful and useful idea of fasting. thank you so much.god bless you.
धीरज जी नमस्कार
आपकी प्रेरणा से ही ये कार्य संभव हुआ है |
pandit ji prnaam,
aapne vart ke liye bahut hi sundar jankaare di hai, hum sabhi log vrat karte hain parantu yahi samajhate hain ki vrat ka matlab khana na khane se hai parantu aapne is topik par achha likha hai maine kal yah lekh ghar men sabhi ko sunaya hai sabhi iske liye aapko dhanywad kah rahe hain aap aise hi jankaree dete rahen yah hum sabhi ki prarthana hai|
riya mishra
Acharya G
The information you very useful and you write on the subject is very favor | You keep writing like this
Thanks
amitabh
dhanyawadaarhah khalu twam asy lekhay
umaakantah
आचार्य जी नमस्कार
मैंने आज आपके इस लेख को पढ़ा पढ़कर बहुत खुशी हुई आपने व्रत के सम्बन्ध में जो जानकारी दी है वह भी बहुत अच्छी है आप ऐसे ही जानकारी देते रहे इसकी हमें बहुत आवश्यकता है |
धन्यवाद
सुशीला
dear bhupendra
i have read your blog that is so nice and lovely.
sandeep
bhupendra ji
namasakaar
bahut sundar vichar hai aapke
dhanywad
pandit ji
vrat ke uttam lakshan likhe hain,yah lekha nishchit hi hamare liye bahut prabhave hai iske karan nishchit hi hame sahi prerna milegee,urat kaise karn ahai kis prakar hame vrat karna chahiye,is lekh likhkar aapne achha kary kiya hai, aapke agale lekh ki prateeksha men
kapil singh
मैंने कुछ वाक्य बनाने के प्रयास किये हैं उन्हें सही करने का कष्ट करें
अहम् कपिलः
अहम् व्यवसायी
सः राघवः
सा माला
तत वाहनम
कृपया सही करने का प्रयास करें
भूपेंद्र जी नमो नमः
मैंने आपके लेख को पढ़कर मुझे बहुत ही खुशी हुई और इसके लिए आपको शुभकामना देता हूँ आप ऐसे ही लिखते रहें यही हमारी शुभकामना है आपने बहुत ही उत्तम संग्रह किया है
आशीष
भूपेंद्र जी आपने बहुत दिनों से कुछ नहीं लिखा है शायद आप कहीं व्यस्त हैं कृपया कुछ न कुछ लिखते रहें हम आपकी प्रतीक्षा करते रहते हैं | आपके द्वारा लिखे गए लेख हमारे लिए बहुत ही प्रेरक होते हैं |
अमिताभ केशवानी
आपके द्वारा व्रत में लिखा हुआ लेख बहुत ही लोगों के लिए प्रभावित हुआ है कई लोगों को वह बहुत ही प्रभावी लगा है
अमिताभ केशवानी
पंडित भूपेंद्र पाण्डेय जी नमस्कार
मैंने आपका लेख पढ़ा जो की आपने व्रत के सम्बन्ध में लिखा है उससे मै बहुत ही प्रभावित हुआ हूँ आप ऐसे ही लिखते रहें यही आज की आवश्यकता है
सरोज खान
भूपेंद्र जी नमस्कार
आपने मुझे अपने इस ब्लॉग के बारे में बताया था तब मैंने सोचा था की ऐसे ही आप कुछ लिखरहे होंगे
परन्तु आपने यंहा पर बहुत ही अच्छा लिख है
आपने मुझे संस्कृत सिखाने के लिए कहा था परन्तु कभी भी आपको समय नहीं मिल पाया है| अब तो इसके माध्यम से हम सभी सिखा सकते हैं आपका यह प्रयास बहुत ही सराहनीय है मुझे कुछ श्लोक संस्कृत के यद् हाँ उन्हें आपको सुनना चाहूँगा
या देवी सर्व भुतेसु शक्ति रूपेण संस्थिता | नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
आप ऐसे ही कुछ श्लोक भी लिखें यह हमारी इच्छा है |
रमेश सिंह रीवा
आचार्य जी नमस्कार
महोदय मैंने आपका लेख पढ़ा इस लिंक को मेरे एक परिचित ने मुझे बताया था| मैंने जब इसको देखा तब बहुत ही प्रसन्नता हुई मैं हमेशा आपके लेखों को पढ़ूंगी|
धन्यवाद
so nice bhupendra ji
rajkumar
bhupendra
u have done vey nice and ver well
keep it up
dr.l.n.sharma
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