Friday, September 03, 2010

अकस्मात् धन प्राप्ति योग

(क) यदि द्वितीयेश और चतुर्थेश शुभ ग्रह (बुध-शुक्र) की राशि में शुभग्रहों से युत या दृष्ट हो। (ख) पंचम भाव में चन्द्रमा पर शुक्र की पूर्ण दृष्टि हो। (ग) 1, 2, 11 वें भाव के स्वामियों में लग्न का स्वामी दूसरे घर में, दूसरे का स्वामी ग्यारहवें में तथा ग्यारहवें का स्वामी लग्न में हो। (घ) एकादशेश और द्वितीयेश चतुर्थस्थ होंऔर चतुर्थेश शुभग्रह की राशि में शुभयुत या दृष्ट। (ङ) धनेश अष्टम भाव में हो। (च) लग्न का स्वामी धनस्थान में हो, लाभ-स्थान में हो और लाभेश लग्न में हो। (जातक पारिजात) (छ) लग्नेश शुभग्रह हो और धन स्थान में स्थित हो या धनेश आठवें स्थान में हो। (ज) यदि पंचम स्थान में शुक्र से दृष्ट चन्द्रमा हो। (झ) यदि धन भाव का स्वामी शनि (धनु, मकर लग्न) 4, 8 या 12वें भाव में हो तथा बुध सप्तम भाव में स्वगृही होकर बैठा हो

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