Thursday, August 05, 2010

Kundali me yog

योग
कुंडली में ग्रहों के द्वारा बनने वाले अंश गत / राशि गत संबंधों को योग  कहते हैं|
ग्रहों के द्वारा बनने वाले योग ४ प्रकार के होते है -
१-स्थान गत सम्बन्ध
२-दृष्टि गत
३-राशि गत
४-भाव गत सम्बन्ध
इन योगों के द्वारा ग्रहों का फल प्रभावित होता है क्योंकि बिना किसी योग के ग्रह पूरा फल नहीं देता| इन्ही योगों के द्वारा व्यक्ति लाभान्वित होता है |
हरि-हर ब्रह्म योग
यह योग निम्न स्थितियों  में बनता है-
१-दूसरे भाव के  स्वामी से ८ वे या १२ वे भाव में शुभ ग्रह हो |
२-सप्तम भाव से ४,८ या नवम भाव में गुरु,चन्द्र और बुध बैठे हों|
३-लग्न का स्वामी जिस स्थान पर हो उस स्थान से ४,१०,११ भाव में सूर्य ,शुक्र और मंगल हो|
फल-
इस योग में उत्पन्न जातक परम-पवित्र विचारों वाला,सत्य-भाषी,अपने सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करने वाला,ईश्वर-भक्त,प्रसन्न-चित्त,हास्य-प्रिय,परोपकारी , गुनग्राही और विद्वान होता है|  

5 comments:

Dheeraj Kumar said...

Jaankaari ke liye dhanyvaad, kripya aur adhik spasht karen.

Anonymous said...

Acharya ji namaskaar
aapke lekhon ko mai hamesha padti hu.mera nivedan hai ki aap kuchh n kuchh hamesha jyotish ke bare me likhate rahe.

sushila said...

Acharya ji namaskaar
aapke lekhon ko mai hamesha padti hu.mera nivedan hai ki aap kuchh n kuchh hamesha jyotish ke bare me likhate rahe.

Unknown said...

Prnam
aapne yog par achha likha hai,aaj kal log bhumi ,vahan,dhan ka vichar jyada karte hai,krupya in vishayon se sambandhit yogon ko likhane ka kashta kare|

Unknown said...

अतीव सुन्दर आपका लेख है मै बहुत उत्साहीत हूँ |

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