Monday, August 30, 2010

सुन्दर श्लोक

जय भगवति देवि नमो वरदे,जय पाप विनाशिनी बहु फल दे |
जय  शुम्भ-निशुम्भ कपालधरे,प्रणमामि तु देवि नमो वरदे|
जय चन्द्र-दिवाकर नेत्रधरे,जय पावक भूषित वक्त्र धरे|
जय भैरवदेहनिलीन परे ,जय अन्धकदैत्य विशोष करे |
 

No comments:

Featured Post

पाराशर के अनुसार ग्रह दृष्टि

पश्यन्ति सप्तमं सर्वे शनि जीव कुजः पुनः ।  विशेषतश्च त्रिदशत्रिकोणचतुरष्टमान् || भावः - यहाँ पर ग्रहों की दृष्टि के बारे में बतलाते हु...