अर्थात कुंडली में -
1चतुर्थ भाव के स्वामी के साथ या चतुर्थ भाव में ही शुभ गृह बैठे हो तो
२चतुर्थ भाव का स्वामी किसी शुभ ग्रह के साथ केंद्र (१,४,७,१०)या त्रिकोण (५.९) में हो तो
इन दोनों ही स्थितियों में व्यक्ति अपनी मेहनत से अपन एभावन का निर्माण करवा-कर रहता है और उसे उत्तम गृह का योग होता है|
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