Sunday, August 22, 2010

वास्तु

वास्तु के कुछ उपयोगी सूत्र 
वस्तुतः वास्तु २ प्रकार का होता है  एक भूमि वास्तु और दूसरा गृह वास्तु 
भूमि वास्तु का उपयोग भूमि खरीदने के पहले जाता है और भवन वास्तु का उपयोग भवन का निर्माण करते समय| 
प्राचीन काल से मानव हमेशा कुछ नए विचारो और कार्यों के लिए प्रयास रत है उसी विधा का यह भारतीय ऋषि-मुनियों क़ि यह एक सुन्दर कृति और उत्तम परिणाम है वास्तु विद्या |
इसका उपयोग आज ही नहीं अपितु पुराने समय से किया जा रहा है आज तो केवल हम अपने घर में ज्यादा वास्तु का प्रयोग व विचार करते है पहले तो सार्वजानिक स्थलों पर भी इसका प्रयोग किया जाता था |
भवन में सुख-शांति केवल भवन के निर्माण या कुछ कमरों को व्यवस्थित कर देने से नहीं मिलती | ऋषियों ने भवन  निर्माण और उससे सम्बंधित समस्त कार्यों के लिए अनेक मुहूर्तों को भी बताया है | इसलिए हमे उन मुहूर्तों का भी प्रयोग करना उचित होगा |
क्रमशः .................

1 comment:

Unknown said...

आचार्य जी नमस्कार
आपने आज वास्तु के बारे में बहुत अच्छा लगा | आप इस विषय पर और भी लिखने का कष्ट करें|
अमिताभ

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