Saturday, July 03, 2010

chandra

Moon (चन्द्र)
सूर्य के बाद ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र प्रधान ग्रह है | सूर्य यदि शरीर की आत्मा है तो चन्द्र मन है|  वेद में चन्द्र की उत्पत्ति के विषय में कहा गया है - चंद्रमा मनसो जातः अर्थात चन्द्र की उत्पत्ति उस विराट पुरुष के मन से हुई है | कुंडली में चन्द्र का क्या विचार होता है ? इस विषय में मै अपने विचार को प्रस्तुत कर रहा हूँ |
चन्द्र 
सूर्य के अनुसार चन्द्र भी आँखों का कारक माना जाता  है [ मेरे विचार में चन्द्र यदि निर्बल होगा तो रतौंधी जैसे रोगों को जन्म देता है ]
शरीर में चन्द्र का विचार 
ह्रदय , खून, यूरिन ,पाचक रस,पाचन क्रिया, यह चन्द्र विचार में आती है |
चन्द्र के गुण
चन्द्रमा शीतलता का कारक है | जलीय और तरल पदार्थ इसी के क्षेत्र में आते है |सबसे तीव्र चलने के कारण मौसम के परिवर्तन ,स्वभाव , भी यह देखता है | सैर करने की इच्छा , मौसम का आनंद लेने वाला स्वभाव , ठन्डे प्रदेश में खुश रहने वाला , जल का ज्यादा उपयोग करने  वाला भी चन्द्र ही है | देश प्रेम .स्नेह , लव,भी चन्द्र का ही विषय है |
चन्द्र से होने वाले रोग
चंद्रमा मन का कारक है अतः सभी मनो रोग , अजीब व्यवहार,उन्माद ,पागलपन,चिडचिडाना, खांसी,जुकाम,मौसम के द्वारा होने वाले रोग,हाजमे की शिकायत , कफ की परेशानी, आतंरिक भय   ये सब चन्द्र से ही देखे जाते है |
चन्द्र के कार्य क्षेत्र
चन्द्र का जल से सम्बन्ध है अतः सिंचाई विभाग,जल विभाग,मछली उद्योग,नौसेना और मोती का व्यवसाय ,कैरोसिन,पेट्रोल ,मानव सहयोगी संगठन ,रसों से जुड़ा व्यवसाय ,नर्सरी , फूल, आदि का विचार चन्द्र के द्वारा किया जाता है | 

1 comment:

Dheeraj Kumar said...

aacharyajee pranam, chandrama par di gayi jaankari padkar laabh hua. chandrama ka shubh fal prapt karne hetu UPAAY bataven. dhanyawad.

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